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Kavita Kosh से
मोहक रूप ।
105
घाटियों मे उतरे
मेघ चंचल ।
106
ऊँची मुँडेर पर
साँझ की धूप ।
107
धूप -वधू लजाई
ओट हो गई ।
हम न मानें ।
114
मधुर प्यार के जो
स्वर्ग से बड़े ।
रूप तुम्हारा ।
117
और दे दिया वह
रूप तुमको ।
118
जिनसे धोखा कभी
तुमको मिला ।
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