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ख़ुदनुमा होके निहाँ छुप के नुमायाँ होना / फ़िराक़ गोरखपुरी
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17:11, 24 अक्टूबर 2020
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<poem>
ख़ुदनुमा<ref>आत्मप्रदर्शी</ref> होके निहाँ<ref>छुपा हुआ</ref> छुप के नुमायाँ<ref>व्यक्त,ज़ाहिर</ref> होना
अलग़रज़ हुस्न को रुसवा<ref>बदनाम</ref> किसी उनवाँ<ref>प्रकार</ref>होना
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