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दो पँखुरियाँ झरीं गुलाब की, तकती पियासी
पिया--से ऊपर झुके उस फ़ूल को अऊठ ओठ ज़्यों ओठों तले।
मुकुर मे देखा गया हो दृष्य पानीदार आँखों के।
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