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<poem>
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
ताले की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था

कभी-कभी आती थी पहले वस्ल की लज़्ज़त अन्दर तक
बारिश तिरछी पड़ती थी तो कमरा गीला होता था

शुक्र करो तुम इस बस्ती में भी स्कूल खुला वर्ना
मर जाने के बाद किसी का सपना पूरा होता था

जब तक माथा चूम के रुख़्सत करने वाली ज़िंदा थी
दरवाज़े के बाहर तक भी मुँह में लुक़्मा होता था

भले ज़माने थे जब शेर सुहूलत से हो जाते थे
नए सुख़न के नाम पे 'अज़हर' 'मीर' का चर्बा होता था
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