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27 मार्च {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अर्चना कोहली
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<poem>
धुएँ के लच्छे बहुत शान से कुछ लोग उड़ाते हैं
कश पर कश सिगरेट-बीड़ी के खींच रिझाते हैं।
थोड़ी-सी ख़ुशी के लिए कर देते ख़ुद का नाश
स्वास्थ्य के खिलवाड़ से बन जाते ज़िंदा लाश॥
सेवन से इनके शरीर होता रहता है खोखला
घातक बीमारियों का होता है तन पर हमला।
धीमे विष समान यह ले जाता है मृत्यु के पास
अत्यधिक धूम्रपान से ही टूटती जाती साँस॥
सिगरेट-बीड़ी-सिगार-तंबाकू सब हानिकारक
हृदय-रोग-फेफड़ों के कैंसर दमा के हैं द्योतक।
जानते-बूझते भी जाल में इसके फँसते इंसान
आसपास रहनेवाले भी सर्वदा रहते परेशान॥
अजन्मे शिशुओं पर भी पड़ता इसका प्रभाव
जीवन संगिनी से भी इस कारण रहे टकराव।
धूम्रपान भी होता है प्रदूषण का प्रमुख कारण
ख़ुशहाल जीवन हेतु निषेध को करना धारण॥
छोड़ इसे असमय नहीं मिलेगा यमराज-पाश
उत्तम स्वास्थ्य का मिलेगा सबको ही पलाश।
सरकारी आदेश से नहीं अंतर्मन से अपनाओ
रोगों से दूर रहकर अनमोल जीवन महकाओ॥
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