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/* कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें */
* [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]]
* [[ख़िरद को ख़्वाब दिखाओ के कायनात चले / रवि सिन्हा]]
* [[ख़ुद का भी जायज़ा लिया जाए / रवि सिन्हा]]
* [[खेल है ये तो ज़िन्दगी क्या है / रवि सिन्हा]]
* [[ख़ैर-मक़्दम है ये किसका शहर में / रवि सिन्हा]]