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'''मसकबाजे'''- विवाह आदि में बजाया जाने वाला बैगपाइपर बाज़ा, दमों- नगाड़े जैसा उत्तराखंडी वाद्ययंत्र,
'''थौल-''' मेला, मंडाण - उत्तराखंडी लोकनृत्य ,. '''फुलेरों'''- चैत्र मास में फूल एकत्र कर प्रतिदिन एक मास तक प्रातःकाल देहरियों पर फूल डालने वाले छोटे बच्चे,लय्या= सरसों
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'''ब्रज-अनुवाद-रश्मि विभा त्रिपाठी'''
 
बसंत के बे गीत पुराने कित गए
थड़िया चौफुला फुलेरन के जमाने कित गए?
 
ऋतुपति आवत हुतो झलकावत पौधन में कल्ला
अरु बिछावत हुतो डाँडिनि में हरी घास की मखमल
सपन सभा जोरत रहतु हुतो नैनन बीच
मिठाइनि की मिठास भरि देवत ओ थौल़ मेलन बीच
 
माँगुल़न के गुंजन सुहावने कित गए?
दादी की लोरिन के जमाने कित गए?
 
घूघूती की घू-घू के मीठे सुर
खलिहाननि के दांदों में सूपन की सर्र-सर्र
कोयलरिया की मीठी झंकार हिराई
निन्यारनि की सुघर गुंजार हिराई
 
मैतिनि के आर्से अरु रुटाने कित गए?
कंडियाँ, लाल कपड़ा लुभावने कित गए?
 
मंडाड़न अरु उमदात झुमेलन की रितु
मकरैणी अरु पंचमी के मेलन की रितु
पापड़िनि, स्वाल़न और फुलकंडिनि की रितु
सजी- धजी थौले़रन तैं छक्क पगडंडिनि की रितु
 
मसकबाजे अरु दमौं के साज सुहावने कित गए?
लाल डोली दुलही की, छतर रुआने कित गए?
 
सड़कनि के तौ जाल बनि गए
जिनमैं सिग धारे ताल छनि गए
कटि गए चीड़ बांज बुरांस अंयार
हटि गए मन्दिर पुराने अरु घर-दुआर
 
मोरे लय्या गेहूँ के खेत न माइत कित गए?
बसन्त के बे गीत पुराने कित गए?
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