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[[Category:ग़ज़ल]]
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भाई से भाई रूठा हैघर कितना सूना लगता है
एक पुराने वक़्त का चेहरा
सुख के अन्दर दुख रहता है
रिश्ते छिन छीन लिए टी.वी. ने,
मैं तन्हा, तू भी तन्हा है.
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