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मेरी रचना के अर्थ बहुत से हैं<br>जो भी तुमसे लग जाए लगा लेना।<br><br>
मैं गीत लुटाता हूँ उन लोगों पर<br>दुनिया में जिनका कोई आधार नहीं<br>मैं आंख मिलाता हूँ उन आंखों से<br>जिनका कोई भी पहरेदार नहीं ।<br><br>
आंखों की भाषाएं तो अनगिन हैं<br>जो भी सुंदर हो समझा देना।<br><br>
पूजा करता हूं उस कमजोरी की<br>जो जीने को मजबूर कर रही है<br>मन ऊब रहा है अब उस दुनिया से<br>जो मुझको तुमसे दूर कर रही है।<br><br>
दूरी का दुख बढ़ता ही जाता है<br>जो भी तुमसे घट जाए घटा लेना।<br><br>
कहता है मुझसे उड़ता हुआ धुआँ<br>रुकने का नाम न ले तू उड़ता जा<br>संकेत कर रहा नभ वाला घन<br>प्यासे प्राणों पर मुझ सा गलता जा।<br><br>
पर मैं खुद ही प्यासा हूं मरुथल सा<br>यह बात समंदर को समझा देना।<br>चांदनी चढ़ाता हूं उन चरणों पर<br>जो अपनी राहें आप बनाते हैं<br>आवाज लगाता हूं उन गीतों को<br>जिनको मधुवन में भौंरे गाते हैं।<br><br>
चांदनी चढ़ाता हूं उन चरणों परजो अपनी राहें आप बनाते हैंआवाज लगाता हूं उन गीतों कोजिनको मधुवन में भौंरे गाते हैं। मधुवन में सोये गीत हजारों हैं<br>
जो भी तुमसे जग जाएँ जगा लेना।