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चरागे़जीस्त<ref>जीवन-दीप</ref> बुझा दिल से इक धुआँ निकला।
ज़माना फिर गया चलने लगी हवा उलटी।
चमन को आग लगाके जो बाग़बाँ निकला॥
कलामे ‘यास, से दुनिया में फिर इक आग लगी।