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|संग्रह=काका के व्यंग्य बाण / काका हाथरसी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>व्यंग्य एक नश्तर है<br>ऐसा नश्तर, जो समाज के सड़े-गले अंगों की<br>शल्यक्रिया करता है<br>और उसे फिर से स्वस्थ बनाने में सहयोग भी।<br>काका हाथरसी यदि सरल हास्यकवि हैं<br>तो उन्होंने व्यंग्य के तीखे बाण भी चलाए हैं।<br>उनकी कलम का कमाल कार से बेकार तक<br>शिष्टाचार से भ्रष्टाचार तक<br>विद्वान से गँवार तक<br>फ़ैशन से राशन तक<br>परिवार से नियोजन तक<br>रिश्वत से त्याग तक<br>और कमाई से महँगाई तक<br>
सर्वत्र देखने को मिलता है।
</poem>
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