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मसख़रा / अवतार एनगिल
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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक
/ अवतार एनगिल; तीन डग कविता
/ अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>जिस अनाम इमारत के
असंख्य दरवाज़े
एक्-दूसरे में खुलते हैं
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