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12:58, 4 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
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पुलिस फिरौती मांगे रे मितवा !
शहर घिनौना लागे रे मितवा !!
सुते पहरुआ , चोर -उचक्का -
रात -रात भर जागे रे मितवा !!
गणिका बांचे काम , पतुरिया -
पीछे -पीछे भागे रे मितवा !!
दुर्जन मदिरा पान में पीछे -
संत -मौलवी आगे रे मितवा !!
कहे "प्रभात" सुनो भाई जनता -
भूखे लोग अभागे रे मितवा !!
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