भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKFilmSongCategories |वर्ग=अन्य गीत }} {{KKFilmRachna |रचनाकार=?? }} <poem> देखा करो भगवान ग…
{{KKGlobal}}
{{KKFilmSongCategories
|वर्ग=अन्य गीत
}}
{{KKFilmRachna
|रचनाकार=??
}}
<poem>
देखा करो भगवान ग़रीबों का तमाशा।

दिन रात कोई अश्क बहाए तो तुम्हें क्या।।

ले जितना सताना है सता, बिगड़ी मेरी हर्गिज न बना।
इन रोती हुई आँखों से पानी की जगह ख़ून बहाऊँ तो तुम्हें क्या।।
टूटी हुई नैया है मेरी, बस एक झकोले की देरी।

तूफ़ान चहुँ ओर से आके, मेरी नैया को डुबो दें तो तुम्हें क्या।।

दुनिया तेरी न भायी मुझे, दे-दे किसी की आई मुझे।
इतने बड़े मेले में जो पाँव से, किसी के कोई पिस जाए तो तुम्हें क्या।।

</poem>
Delete, Mover, Uploader
894
edits