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{{KKFilmRachna
|रचनाकार=कैफी आजमीआज़मी
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कर चले हम फिदाफ़िदा, जान्जान-ओ-तन् तन साथीयों ...अब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों ...
कर चले हम फिदासांस थमती गई, जान्-ओ-तन् नब्ज जमती गई,फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दियाकट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहींसर हिमालय का हमने न झुकने दियामरते मरते रहा बाँकपन साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों - (2)...
सांस थम थी गई, नब्ज जम् तो गई,जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगरफिर भी बडते कदम् जान देने की रुत रोज आती नहींहुस्न और इश्क दोनो को ना रुक णे दिया,रुसवा करेकट् गये सर हमारे, तो कुछ गम् वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं,सर् हिमालय क हमने न झुक ने दिया,मरते मरते राहा बांकपन् बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथीयों,अब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों ...
कर चले हम फिदा, जान्-ओ-तन् राह कुर्बानियों की ना वीरान होतुम सजाते ही रहना नये काफ़िलेफ़तह का जश्न इस जश्न के बाद हैजिन्दगी मौत से मिल रही है गलेआज धरती बनी है दुल्हन साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों - (2)...
जिन्दा रेहेने के मौसम, बहुत है मगर,जान् देने की रुत् रोज् आती नहीं,हुस्न् और इश्क् दोनो को रुसवा करें,वो जवानी जो खून् मे नाहाती नहीं,आज धरती बनी है दुल्हन साथीयों ... कर चले हम फिदा, जान्-ओ-तन् साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों - (2) राह् कुर्बानियों कि ना वीरान हो,तुम सजाते ही रेहन नये काफिले,फतेह् का जशन इस् जशन के बाद् है,जिन्दगी मौत से मिल रही है गले,बदलो अपने सर से कफन् साथीयों ... कर चले हम फिदा, जान्-ओ-तन् साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों - (2) खेंच् खेंच दो अपने खून् खूँ से जमीं पर लकीर,इस तरह् तरफ आने ना पाये ना रावन रावण कोई,तोड तोड़ दो हाथ अगर् अगर हाथ उठ्ने उठने लगे,छुने छूने पाये ना सिता सीता का दामन् दामन कोई,रम राम भी तुम, तुम्हि लक्ष्मन साथीयों ... कर चले हम फिदा, जान्-ओ-तन् तुम्हीं लक्ष्मण साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयोंअब तुम्हारे हवाले, वतन साथीयों...
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