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हमने तुमको ओ साथी पुकारा बहुत / कुमार अनिल
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13:46, 22 नवम्बर 2010
और ह्रदय में बसा प्यार देखा नहीं ।
क्या बताऊँ
की
कि
कल रात को किस तरह
चाँद तारे मेरे साथ जगते रहे
जाने कब तुम चले आओ ये सोच कर
Kumar anil
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