शहर में / सुदर्शन वशिष्ठ
छोटे शहर में
रहते हैं छोटे लोग।
ताक-झाँक करना
हो जाती है उनकी आदत
रह नहीं सकता कुछ भी छिपा
छोटे शहर में
बेटे की सगाई
माँ का दर्द
बेटी की विदाई
पिता का कर्ज़
सब साफ-साफ दिखता है
छोटे शहर में
सुख-दुख में
सब एक हो जाते।
बड़ा आकाश है
थोड़ी ज़मीन है
छोटे शहर की।
बड़े शहर में
रहते हैं बड़े लोग।
नहीं देखते पड़ोसी की ओर
कहाँ जा रहे
कहाँ से आ रहे
कोई नहीं पूछता
कोई नहीं पूछता
कैसे हो भाई
कैसी हो माई
क्या कर रहे बेटा-बेटी
गुज़र-बसर कैसी रही
रात नींद आई नहीं आई।
कौन अजनबी रहता
अगले द्वार
कोई नहीं पूछता
कोई घर छोड़ गया
या मर गया
एक ही बात है
खो जाते कई, रोज़ गुमनाम।
छोटा आकाश है
बड़ी ज़मीन है
बड़े शहर की।