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श्रीराधा-माधव-जुगल! कीजै कृपा महान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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श्रीराधा-माधव-जुगल! कीजै कृपा महान।
जा सौं मैं करतौ रहूँ प्रेम-सुधा-रस पान॥
द्वन्द्वनि में समता रहै, सकल विषमता खोय।
पद-कमलनि में ही सदा ममता सगरी होय॥
मन सुमिरन करतौ रहै मधुर मनोहर नित्य।
नाम-रूप-गुन कौ, सकल तजि कै भोग अनित्य॥
जय श्रीराधा जयति जय, जय माधव घनस्याम।
जयति समरपनमय बिमल प्रेम नित्य सुखधाम॥