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सफ़र / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
दूर कहीं गुज़रती है कोई रेल
सीटी बज़ाती है
छुक-छुक गाड़ी जा रही है
वह कहता है
तुम छुक-छुक गाड़ी में जाओगे?
मैं पूछता हूँ
वह कहता है
हाँ... हाँ
कहाँ
वहाँ... वह अंगुली से
दिशा की ओर संकेत करता है
रोज़ गुज़रती है
छुक-छुक गाड़ी
तीता
रोज़ सफ़र पर निकलता है