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समय / सुभाष राय
Kavita Kosh से
फूल के खिलने और मुरझाने की
सन्धि पर खड़ा रहता है समय
पूरी तरह खिला हुआ
एक फूल मुरझाता है और
समय दूसरी सन्धि पर खिल उठता है