राग पूरिया कल्याण
साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो।
तुम बिन मोरे और न कोई, क्रिपा रावरी कीजै हो॥
दिन नहीं भूख रैण नहीं निंदरा, यूं तन पल पल छीजै हो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर , मिल बिछड़न मत कीजै हो॥
शब्दार्थ :- साजन =प्रियतम। रावरी =तुम्हारी। निंदरा =नींद। बिछड़न =वियोग।