सातार नदी के काठै आजाद / रणवीर सिंह दहिया
चन्द्रशेखर आजाद अपना रहने का स्थान बदलता रहता था। पुलिस क्रान्तिकारियों के पीछे लगी रहती। सातार नदी के किनारे आजाद एक कुटिया में साधु के भेष में रहने लगता है। पास के गांव में कत्ल हो जाता है। पुलिस की आवाजाही बढ़ जाती है। चन्द्रशेखर कैसे बचाता है अपने आपको:
सातार नदी के काठै आजाद एक कुटिया मैं आया॥
साधु भेष धार लिया नहीं पता किसे ताहिं बताया॥
जिब बी कोए साथी पुलिस की पकड़ मैं आज्या था
आजाद ठिकाना थोड़ी वार मैं कितै और बणाज्या था
इसे सूझबूझ के कारण पुलिस तै ओ बच पाया॥
पास के गाम मैं एक बै किसे माणस का कत्ल हुया
चरचा होगी सारे कै फेर पुलिस का पूरा दखल हुया
पुलिस दरोगा तफतीस करी कुटी मैं फेरा लाया॥
दरोगा नै देख कै आजाद बिल्कुल ही शान्त रहया
ध्यान तै सुण्या सब कुछ जो दरोगा नै उंतै कहया
बोल्या धन्यवाद दरोगा जी आगै फेर जिकर चलाया॥
साध्ुाआं का ठोर ठिकाना यू सारा संसार दरोगा जी
छोड़ दिया बरसां पहलम यू घर परिवार दरोगा जी
रणबीर आजाद नै न्यों दरोगा तै पीछा छटवाया॥