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सीखना / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
मेरे बाल झड़ रहे हैं
मैं गंजा हो रहा हूँ
मेरी दाढ़ी सफ़ेद हो रही है
मेरे दाँतों में दर्द रहने लगा है
थोड़ा दौड़ने और सीढ़ियाँ चढ़ने से
मेरी साँसों की आवाज़ मुझे सुनाई पड़ती है
बच्चे मुझे अंकल पुकारते हैं
लेकिन मैं खिलखिला रहा हूँ
हँस रहा हूँ
लड़ रहा हूँ
रच रहा हूँ
सीख रहा हूँ
नित नयी चीज़ें ।