भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूरजी- 2 / राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूरजी नीं तौ उगै
अर नीं बिसूंजै
नीं तौ चालै
अर नीं थमै
जुगां-जुगां सूं
वौ तौ लगौलग
करड़ी मींट सूं देखै
अंधार रै हेताळुवां नै।
जदई सईकां सूं
नीं थरपीज सक्यौ
आखी स्रस्टि
अंधार रौ राज।