भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन / नंदराम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन ।
त्योँ नन्दरामजू अँक भरै परयँक परै चित चौगुने चायन ।
चूमत हैँ कलकँज कपोल रचैँ रस ख्यालहूँ सील सुभायन ।
साँवरी राधा गुमान करै तब गोरे गुबिन्द परैँ लगि पायन ।


नंदराम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।