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हम हिरन के साथ हैं / राम सेंगर

हम हिरन के साथ हैं
वे भेड़ियों के साथ,
थक गए हैं,
मौत के सदमे उठाते ।

सूँघ कर भी आहटें
आसन्न हमले की
ठिठक कर
वहशी दरिन्दे
एकटक देखे ।

हर झपट्टे से
मिलाई आँख
तब दौड़े
बच निकलना
प्राथमिक था
लक्ष्य ले-देके ।

कौन जाने
धर लिए जाएँ कहाँ कब गप्प
जैविकी सम्वेदना में
झिलमिलाते ।

हम हिरन के साथ हैं
वे भेड़ियों के साथ,
थक गए हैं,
मौत के सदमे उठाते ।