Last modified on 21 फ़रवरी 2011, at 03:28

पण हुई आ / सांवर दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:28, 21 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आगै सारू अंधारै में नीं आखड़णो पड़ै
इण खातर घर सूं नीसरियो
सोधण नै उजास
पण हुई आ
कै जद रस्तै में चखायो लोगां
ताजी रोटी रो गरमास
अर भरवां डील रो चिकणास
तो भूलग्यो कै नीसरियो हूं
सोधण नै उजास
बठै बां री फाक्यां में आय’र बणाय लियो
अंधारै नै ई भायलो खास !