Last modified on 22 फ़रवरी 2011, at 04:51

सावचेती / सांवर दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:51, 22 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बरसां आखड़ लिया
अबै दूजो पग धरण सूं पैली
आपां आ तो सोचां
कै पगां हेठै जमीन
सिर माथै आभो
अर
आं दोनां बिच्चै खुली हवा
है या नईं ?