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संघर्ष (युवराज सिंह पर विशेष) / प्रेम कुमार "सागर"

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जीवन को बस अपनी शर्तों पर जिया है
तुमने जीते है जंग बहुत, संघर्ष किया है |

चाहे जो हो क्षेत्र, क्रिकेट का या जीवन का
हुआ अभी तक वही, रहा जो तेरे मन का;
सूरज को तो देख जरा, दिन-रात जला है
लेकिन कभी नहीं बुझने को वो मचला है |

जल तू भी, बिन तेरे सूनी, यह दुनिया है
तुमने जीते है जंग बहुत....................|

जब भी टीम पड़ी संकट में, लेकर बल्ला
विपक्षी पर टूट पड़े तुम, बोल के हल्ला;
तेरे आगे नहीं विकट है यह रण - संकट
तुम वीर हो, तुम साहसी, तुम हो जीवट |

तो उठ, पूरा कर, जो तुमने प्रण लिया है
तुमने जीते है जंग बहुत..................|

वट-वृक्ष भला आँधी के आगे कब झुकता है
हो चाहे डगर कठिन, कहाँ राही रुकता है;
बहना ही मेरा काम पवन का है यह कहना
है यही दुआ, तुम भी जीवन भर बहते रहना |

देख ज़रा जीवन अनुपम-सुन्दर-रसिया है
तुमने जीते है जंग बहुत, संघर्ष किया है |