भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देखो, भर गई है छत / वेरा पावलोवा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:02, 16 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेरा पावलोवा |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम के बाद निढाल पसरते हुए...

"देखो
भर गई है सारी की सारी छत
सितारों से"

"और हो सकता है
उनमें से किसी एक पर
वास करता हो जीवन"

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह