Last modified on 16 मई 2014, at 12:03

लीला लाल गोवर्धनधर की / कृष्णदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:03, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्णदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लीला लाल गोवर्धनधर की।
गावत सुनत अधिक रुचि उपजत रसिक कुंवर श्री राधावर की॥१॥
सात द्योस गिरिवर कर धार्यो मेटी तृषा पुरंदरदर की।
वृजजन मुदित प्रताप चरण तें खेलत हँसत निशंक निडर की॥२॥
गावत शुक शारद मुनि नारद रटत उमापति बल बल कर की।
कृष्णदास द्वारे दुलरावत मांगत जूठन नंदजू के घर की॥३॥