Last modified on 10 सितम्बर 2014, at 11:43

सुधि प्रभंजन / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:43, 10 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मातृ सेवाकाल नहि यति
तात- अर्पण प्रबल नियति
कर्म दर्शन जे बुझै छथि
वेअह शाश्वतमन जिबै छथि
तड़ाग- जल बिनु कमल जीवन
रवि विमुख प्राणवायु छनछन
मृत सरोजक नहि प्रयोजन
करू आत्म हिया सँ मंथन
संजोगल त्रिशतक दिवस धरि
क्षणक्षण तन मरोड़ सहि सहि
कूप सँ धरिणी देखौलनि
छोह मेखल व्यथा गमौलनि
रैन दिन तन्द्रा गमा क'
वक्ष रक्तभ क्षीर पिआ' क'
एहि सिनेहक कोन परतर?
कल्पना कँपैत गत्तर-गत्तर
पवित्र तन आँचर विहंगम
रजोरस बुझलीह गमगम
जे पट छल ईश लेल मानल
आइ ओ पुनि नोर सानल
साध्य कें अपन नहि बुझलक
तृण तृण जोगा अहाँ लेल रखलक
ओहि बापक नहि आब मोजर
अहँक दृष्टिमे ओ बाँझ बरहर
जर्जर दम्पति कें बृथा बुझै छी
जीविते अपन चचरी बनबै छी
कएल कर्मक भोग भेंटत
नेना जे देखत वेअह सीखत
सम्बल बाट बनाउ मनुजन
" संतति धर्मक सुधि प्रभंजन"