Last modified on 30 मई 2016, at 01:36

मन्दिर में छिपकर कविता लेखन / मिंग दी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:36, 30 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मिंग दी |अनुवादक=अनिल जनविजय |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक बड़े मन्दिर में छिपकर
कविताएँ लिखती हूँ

जब
चाहती हूँ शान्ति
ईश्वर
मेरा मुँह खोल देता है

जब
कुछ कहना चाहती हूँ
वो आदेश देता है
मुँह बन्द रखने का।