Last modified on 4 दिसम्बर 2016, at 16:02

पूर्णता / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:02, 4 दिसम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=बालकृ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरती का इरादा
आसमानी इरादे की तरह
हुआ पूरा।

हम उठे
और गए नदी के पास,
छुआ चमकते पानी को,
हँसे और नहाए धूप में।

दिन
बना रोशनी की चमकती गेंद
हमारे खेलने के लिए,
सूर्यास्त
था सुनहरा परदा,
रात
मखमली चादर

चान्द ने
बूढ़ी दादी की तरह
चूमकर दिया हमें आशीर्वाद
और नींद की बाहों में
थे हम दोनों
हँसते-हँसते।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’