Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 16:56

नेता के फोन / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:56, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इमनदारी सेॅ बोलऽ के इमनदार छै,
जे इमनदार छै डेगे-डेगे हार छै।

सच्चा केॅ लूच्चा नेॅ लूच्चा कहै छै,
लूच्चा के साथो मं लूच्चा रहै छै।

लूचबा के खतिर तं सब दिन अधोन छै,
पुलिसे जों पकड़ै तं नेता के फोन छै।

बढियोॅ आफिसर भेजी दैछै जेल,
दोसरे दिन कोटो सं मिलै छै बेल।

जेल-बेल खेल मेॅ के ठीकेदार छै,
इमनदारी सेॅ बोलऽ के इमनदार छैं।

बाबू भैया ऑफिस मं मेहनत करै छै,
तैयो होकर बुतरू भूखलऽ मरै छै।

केना बनतै सेना बीत्ता भर छाती,
विना पैसा नै मिलथौन आय आरू जाति।

साल छऽ महिना सेॅ बेतनों हराम छै,
मोन औकताय केॅ अरामे-अराम छै।

बील पास कराबै मेॅ पैसा के मार छै,
इमनदारी सं बोलऽ के इमनदार छैं।

घाट गेलै मालिक जब नौकरबा मरलै,
आठ मोन लकडी मं अधजरूये जरलै।

मसोमसिया केॅ देलकै एक जोड़ा साड़ी,
चुपे-चाप लिखाय लेलकै बचलका बाड़ी।

मलिकबा ठक्की कॅे भागी गेलै पाजी,
केन्हों कं करी देलकै लौवा-बबाजी।

दही-चूड़ा-केला पर खोजै झालदार छै
इमनदारी सेॅ बोलऽ के इमनदार छैं।