Last modified on 11 जून 2017, at 17:11

अबोली छै आ ज़िदगीं / उगामसिंह राजपुरोहित `दिलीप'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:11, 11 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उगामसिंह राजपुरोहित `दिलीप' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अबोली छै आ ज़िंदगी
याद आवै साथिड़ा जिणां रै साथै खेलता
उण समै ना कोई छल ना कपट हो
ना हो कीं गमणै रो डर
पण पावणं री होड़ में आज गमा दिया दोस्त।

रूंखड़ा माथै अेक-दूजां रा नाव मांडता
गलियां-पोळज में साथै रमता
लुकछुप घरां सूं तलाबां तैरण जांवता
ओळयूं घणी आवै उण भाईलां री।

मिळां जदै उण साथियां सूं
पुराणौ समै याद आवै
समै रो ओ केड़ो पतियारो
उण साथियां मायनूं गमगो वो हेज
अबोली छै आ ज़िंदगी।