Last modified on 23 नवम्बर 2017, at 17:07

कहाँ हो तुम / विवेक चतुर्वेदी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:07, 23 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विवेक चतुर्वेदी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बरस गया है
आसाढ़ का पहला बादल
हरी पत्तियाँ जो पेड़ में ही
गुम हो गई थीं
फिर निकल आई हैं
कमरों में कैद बच्चे
कीचड़ में लोट कर
खेलने लगे हैं
दरकने लगा है
 आँगन का कांक्रीट
उसमें कैद माटी से
 अँकुए फूटने लगे हैं
 कहाँ हो तुम