भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हर तरफ़ आनन्द का उपवन खिलेगा / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:14, 3 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=रजन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हर तरफ आनंद का उपवन खिलेगा ।
शांति के पथ पर मनुज जब चल पड़ेगा।।
यह समय का चक्र तो रुकता नहीं है
सूर्य उग कर भोर में संध्या ढलेगा।।
हिमशिखर से जो उतर जो आयी धरा पर
नीर पावन नित्य सुरसरि में बहेगा ।।
ठोकरें खा लड़खड़ाते हैं संभलते
बस उन्हें ही लक्ष्य जीवन का मिलेगा।।
दूसरों के अश्रु यदि तुम पोछ पाये
राह में दीपक तुम्हारी भी जलेगा।।
मंजिले उन को स्वयं आवाज देंगी
जो न भय से विघ्न के पथ में रुकेगा।।
देश के हित है सदा जो प्राण देते
नाम उनका विश्व में हरदम रहेगा।।

