Last modified on 20 अक्टूबर 2019, at 23:40

गुलामी के चिन्ह / उर्मिल सत्यभूषण

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:40, 20 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिल सत्यभूषण |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैंने सारे आभूषण उतार दिये
बोझ तन-मन के सारे डार दिये
पैंरो की पायल
करती थी घायल
हाथों के कंगन
बन गये बंधन
बंधन वे सारे उतार दिये
हाथों की मेंहदी
माथे की बिंदी
उंगली के छल्ले
घूंघट के पल्ले
सिर से अपने उतार दिये
सीता की यादें
सावित्री की बातें
सतियों के आदर्श
झूठे लबादे
भारी लबादे उतार दिये
वो गहनों की जंजीर
देती थी पीर
कसमसाती थी मैं
छटपटाती थी मैं
गुलामी के चिन्ह उतार दिये
रीतियाँ तोड़ी
रस्में छोड़ी
हंसी के पहने
नूतन ये गहने
सारे पुराने उतार दिये।