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आशा के दीप / उर्मिल सत्यभूषण

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आशा के दीप जलाती हूँ
मैं तमस हटाने आई हूँ
मैं नित नित गीत रचाती हूँ
नव-गीत सुनाने आई हूँ
आँखों के आंसू मत देखो
होंठो पर खिली स्मित देखो
मैं प्रेम सुगंध फैलाती हूँ
मैं जग महकाने आई हूँ
कितनी घायल जैसी धरती
बाहर खिलती, भीतर जलती
पर फिर भी मैं मुस्काती हूँ
तुमको भी हंसाने आई हूँ
यह जीवन का बीहड़ पथ है
हर प्राण यहाँ पर आहत है
मैं क्षत पग को सहलाती हूँ
मैं दर्द बंटाने आई हूँ
ओ कलियो, खिलो, फूलो, फूलो
अधिकार तुम्हारा तुम जी लो
मैं मुक्ति मंत्र सिखलाती हूँ
मैं तुम्हें जगाने आई हूँ।