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नेता के रंग / दयानन्द प्रसाद

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का हो तपेसर भइया
हमनी लगी आजादी रुसले रह गेल
भूखमरी आउ गरीबी मिलल हे
पढ़ला के बाद भी बेकारी बनले हे
नौकरियों के समय पर दरमाहा नय मिले हे
नेताजी के घर मे रोज पोलाउए चले हे
केतना के घर मे चूल्हा नञ जले हे
केतना के घर मे मारा पड़ल हे
केतना तो भूख से सोरगे सिधार गेला
केतना के जिनगी अंइसी बेकार हे
कोरट हो, कचहरी हो
सब जगह घुसखोरी हो ।
जहाँ जईबा
नोट के संझोती देखाबे पडतो
तभिये तोहर काम आगे बढ़तो
देखऽ ई नेतवन के
चारो तरफ धमचौकड़ी मचइले हे
झकाझक कपड़ा आउ
चकाचक गाड़ी मे
बीबी आउ बच्चा के सैर करइले हे
चढ़े हे उड़नखटोला पर
बनेले देवता सन
रखे हे पाकिट मे जमा करल काला धन
इहे हो आजाद देश के ढंग
जनता भूक्खल आउ नेता पर रंग
चारो तरफ कुइयाँ मे
फेंटल हो मंग ।