Last modified on 8 अक्टूबर 2008, at 10:30

तुम यहाँ भी / रमेश पाण्डेय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:30, 8 अक्टूबर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश पाण्डेय }} तुम यहाँ भी मिल गए जब्बार मियाँ? ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम यहाँ भी मिल गए जब्बार मियाँ?


पूरे भदोही में

तुम किस-किस गाँव में ख़ुश हो

और किस-किस में उदास

मुझे बता सकोगे


मैं देखता हूँ

जब तुम कालीनों पर

गुल-तराशी करते हो तो

फूल महकते हैं

और तुम बहुत उदास हो जाते हो


यहाँ से पचास किलोमीटर दूर बनारस में

उठ रही दुआख़्वानी की आवाज़ें

और मुर्की बंद होने की ख़बर सुनकर

तुम घबरा क्यों जाते हो जब्बार मियाँ?