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जब होती हो साथ तुम / कुलदीप सिंह भाटी

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जब होती हो साथ तुम
कस कर बंद कर लेता हूँ
मुट्ठियाँ अपनी।
सुना है वक्त हाथ से
फिसल जाता है।

जब होती हो साथ तुम
झुका लेता हूँ
अपनी आँखें
सुना है सुंदर नजारों को
नजर लग जाती है।

जब होती हो साथ तुम
चुप्पी साध लेता हूँ
अपने होंठों पर
सुना है प्यार में अक्सर
जुबान फिसल जाती है।

जब होती हो साथ तुम
भूल जाता हूँ
खुद को
सुना है जब दो प्रेमी मिलते हैं तो
वो दो नहीं एक हो जाते हैं।

सच में, महसूसा है
कितना खूबसूरत होता है प्रेम
और कितनी खूबसूरत होती है
उस प्रेम की जीवटता।