Last modified on 25 मार्च 2024, at 00:45

दर्द के उस पार क्या है / वैभव भारतीय

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:45, 25 मार्च 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वैभव भारतीय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दर्द के उस पार क्या है
झांक लो जब भी समय हो
कुछ बड़ा ही शुभ मिलेगा
दर्द का संपुट मिलेगा।

दर्द अथश्री है कथा की
इक नया शुरुआत करती
हर प्रसव पीड़ा यहाँ
नव-सृष्टि का आग़ाज़ करती।

दर्द क्या इक साक्ष्य है कि
साँस अब तक चल रही है
दर्द क्या इक आँच है कि
आग अब तक जल रही है।

दर्द भावों की कसौटी
शुद्ध सब कुछ छान लाता
हर मिलावट भस्म करता
मृत सुरों में प्राण लाता।

दर्द दुनिया की शपथ है
अंजुली में सीख भरके
बस वही आबाद होता
पी चुका जो पीस करके।