Last modified on 9 फ़रवरी 2025, at 19:01

बताऊँ क्यों अजीब हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'

SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:01, 9 फ़रवरी 2025 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बताऊँ क्यों अजीब हूँ
मैं शायर-ओ-अदीब हूँ

हैं आप मेरे हमसफ़र
मैं कितना ख़ुश-नसीब हूँ

मैं खुद से दूर हो गया
हुज़ूर से क़रीब हूँ

धनी हूँ बात का सनम
भले ही मैं ग़रीब हूँ

कफ़स में हूँ हयात की
मैं एक अन्दलीब हूँ

मिरे सनम यक़ीन कर
फ़क़त तेरा हबीब हूँ

ग़ज़ल ही सिन्फ़ है मेरी
ग़ज़ल ही का तबीब हूँ

कभी-कभी ये लगता है
मैं अपना ही 'रक़ीब' हूँ