भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुख-सुहाग की दिव्य-ज्योति से / नरेन्द्र शर्मा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:39, 8 दिसम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुख सुहाग की दीव्य-ज्योति से,
घर-आंगन मुस्काये,

ज्योति चरण धर कर दीवाली,
घर-आंगन नित आये