तेरे चहरे को इस दर्जा पढ़ा है
मेरे चश्मे का नंबर बढ़ गया है
तू अपनी बात कर वर्ना जमाना
मेरे बारे में क्या-क्या सोचता है?
सुनाई कुछ नहीं देता मुसलसल
ये कैसा शोर भीतर मच रहा है?
मेरी इक बात भी मानी न तूने
मुझे दुःख है तो बस इस बात का है
मुझे लगता है शायद ऐशट्रे में
जली सिगरेट कोई रख गया है