ज़रा ये सोच मेरे दोस्त दुश्मनी क्या है
दिलों में फूट जो डाले वो दोस्ती क्या है
हज़ार बार ही उलझा हूँ इसके बारे में
कोई तो मुझ को बताये कि ज़िंदगी क्या है
ख़ुदा की बंदगी करना चलो जरूरी सही
मगर इंसान की ऐ दोस्त बंदगी क्या है
किसी अमीर से पूछा तो तुमने क्या पूछा
किसी ग़रीब से पूछो कि जिंदगी क्या है
नज़र में आदमी अपनी नवाब जैसा सही
नज़र में आदमी की "प्राण" आदमी क्या है.