Last modified on 17 मार्च 2017, at 11:21

नदी खो नहीं गई है / विष्णुचन्द्र शर्मा

सूखे पर्वतों ने कहा मेरे कान में
‘कोई किसी के लिए नहीं जीता है।
पेड़ अपने बचाव में लड़ रहे हैं।’

कंडेक्टर ने कहा
‘यहाँ हडसन नदी को नीचे छिपा दिया है धरती में।’
मैंने कहा: ‘नदी छिपकर भी खो नहीं गई है।’