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निर्वासन / देवी प्रसाद मिश्र

बस एक ही डर है कि कवि को
उसके बियाबान में निर्वासन का जो

वज़नदार पत्थर थमा दिया गया वह
अमरता की विस्मयादिबोधक

भारी
ट्राफ़ी


हो